मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना
भारत वर्ष ऋषि – मुनियो की तपोभूमि है। सम्पूर्ण भारत ही पावन धरती है । धार्मिक विविधता के दृष्टिकोण से अखिल विश्व मे भारत को विश्व गुरु का गौरव प्राप्त है । हिन्दू धर्म शास्त्रो मे मानव जीवन मे तीर्थ का आध्यात्मिक एवं परलोकिक महत्व है , आस्थाए जीवन को अर्थ देती है, चाहे वह किसी भी धर्म की हो । सामान्यतः धार्मिक ऑर आध्यात्मिक महत्व वाले स्थानो को तीर्थ कहते है। पवित्र एवं दैविक महत्व के स्थानो की यात्राओ को तीर्थ यात्रा कहते है । हिन्दू धर्म मे तीर्थ प्राय देवताओ के जन्म स्थान , तपोभूमि व कर्मभूमि होते है । भारत वर्ष मे धार्मिक अस्थाओ के उद्देश्य की पूर्ति करने हेतु आदि शंकराचार्य ने चार दिशाओ मे चार धामो की स्थापना की है । उत्तर मे बद्रीनाथ, दक्षिण मे रामेश्वरम, पूर्व मे जगन्नाथ पुरी एवं पश्चिम मे द्वारकाधाम स्थापित किए है ।
पूराणो मे 12 ज्योतिर्लिंगों का भी विशेष धार्मिक महत्व है । कालांतर मे हिन्दुओ के नए तीर्थ केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, काशी, प्रयाग, ऋषिकेश, हरिद्वार, वैष्णोदेवी, तिरुपति, शिर्डी, गंगासागर, पशुपतिनाथ आदि नए तीर्थ आते गए। इन धामो व स्थान की यात्रा का धार्मिक महत्व है। ज्ञातत्व है कि राज्य अपनी प्रजा कि उन्नति एवं कल्याण के लिए सतत प्रयासरत रहते है।
कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को चरितार्थ करते हुये मध्य प्रदेश सरकार ने अपने वरिष्ठ नागरिकों एवं दिव्यांगों को जिन्होने अपने जीवनकाल मे तीर्थ यात्रा का स्वपन संजोया है उसे साकार करने के लिए मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना 2012 प्रारम्भ कर आस्था के क्षेत्र मे अनूठी पहल की है। यद्यपि धार्मिक ग्रंथो के अनुसार अपने माता पिता को तीर्थ दर्शन करने का दायित्व उनकी संतानों का है। किन्ही कारणो से संताने उक्त दायित्व को निर्वहन करने का कार्य मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किया जा रहा है। प्रदेश सरकार की सर्वाधिक लोकप्रिय इस योजना का क्रियान्वन धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग द्वारा किया जा रहा है। तीर्थ दर्शन योजना का अनुसरण अब देश के अन्य राज्य भी कर रहे है। 3 सितंबर 2012 को भोपाल से रामेश्वरम के लिए प्रथम तीर्थ दर्शन रेल चलायी गयी थी। इंडियन रेल्वे केटरिंग एंड टूरिज़म कार्पोरेशन से मेमोरेंडोम ऑफ अंडरटेकिंग कर तीर्थ यात्रियो को यात्रा के साथ साथ केटरिंग, बोर्डिंग, एवं अन्य सुविधाए उपलब्ध कराई जाती है। प्रारम्भ मे मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बद्रीनाथ, केदारनाथ, ज्ग्गन्नाथपुरी, द्वारका, हरिद्वार, अमरनाथ, वैष्णोदेवी, शिर्डी, तिरुपति, अजमेर शरीफ, काशी, (वाराणसी ), गया, अमृतसर, रामेश्वरम, सम्मेद शिखर, श्रवण बेलगोला, वेलगनी चर्च (नागपट्टम ) की तीर्थ यात्रा का प्रावधान किया गया था ।
इस योजना के प्रति लोगो मे उत्साह एवं जनभावनाओ को ध्यान मे रखते हुये माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर वर्ष 2017 – 2018 मे गंगासागर, कामाख्या देवी, गिरनारजी, पटना साहिब एवं मध्य प्रदेश के तीर्थ स्थल – उज्जैन, मेहर, श्री रामराजा मंदिर ओरछा, चित्रकूट, एवं ओंकारेश्वर / महेश्वर तथा मूडवारा भी तीर्थ दर्शन मे शामिल कर लिए गये है। अब तीर्थ दर्शन यात्रा के 5 वर्ष पूरे करने वाले यात्रियों को तीर्थ दर्शन का पुनः लाभ प्रदान करने तथा वर्तमान के तीर्थ स्थानो के साथ-साथ समीप के तीर्थ स्थानो यथा रामेश्वरम – मदुरई, तिरुपति- श्री कल्हस्ती, द्वारका – सोमनाथ, पुरी – गंगासागर, हरिद्वार – ऋषिकेश, अमृतसर – वैष्णोदेवी एवं काशी – गया की तीर्थ यात्रा का प्रावधान किया गया है। 1 अप्रेल 2018 से मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना की गतिविधिया तथा कार्यवाहिया पोर्टल पर संचालित हो रही है।
लाभार्थी:
वरिष्ठ नागरिक
लाभ:
राज्य सरकार 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को राज्य के बाहर एक निर्धारित तीर्थयात्रा पर जाने के लिए सहायता प्रदान करेगी।
आवेदन कैसे करें
http://tirthdarshan.mp.gov.in/Form/DharmikNyas_Form.pdf